रीता भसीन के अनुसार उनके पति राजकुमार भसीन जो कि एक पत्रकार थे, कई वर्ष पहले निधन हो गया था। वह अपनी छोटी-सी दुकान चलाकर अपना जीवन यापन कर रही थीं। उनके कोई संतान नहीं है, इसलिए अधिकतर काम स्वयं ही करती हैं। इस अकेलेपन और भरोसे के कारण साइबर ठगों ने उन्हें अपना शिकार बना डाला।
20 जून को आया पहला कॉल, शुरू हुई डिजिटल कैद की कहानी
घटना की शुरुआत 20 जून को हुई जब रीता को एक फोन कॉल आया। फोन करने वाली महिला ने खुद को ‘क्राइम ब्रांच ऑफिसर सुनीता कुमारी’ बताया और कहा कि रीता के बैंक खातों में रखी गई धनराशि और उनके पास मौजूद सोना गलत तरीके से अर्जित संपत्ति है। इसके बाद महिला ने उन्हें कहा कि यह मामला
सीबीआई तक पहुंच चुका है और उनके खिलाफ केस दर्ज है। बुजुर्ग महिला ने जब कॉल काटने की कोशिश की, तो उन्हें धमकाया गया कि यदि उन्होंने कॉल काटा या किसी से इस बारे में बात की, तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाएगा।
मानसिक दबाव और डर का माहौल
सुनीता नामक महिला के साथ एक अन्य व्यक्ति ने भी रीता को फोन किया और खुद को ‘विक्रम’ नाम का अधिकारी बताया। उसने दावा किया कि रीता के खिलाफ सीबीआई में केस दर्ज है और उन्हें दस साल की सजा हो सकती है। विक्रम ने उन्हें आश्वस्त किया कि अगर वे बताए गए खातों में अपने सारे बैंक बैलेंस और गोल्ड लोन की रकम ट्रांसफर कर दें, तो जांच के बाद सारी राशि लौटा दी जाएगी। इस डर और भ्रम में रीता लगातार 22 दिनों तक इन साइबर ठगों के संपर्क में रहीं और उनके बताए अनुसार काम करती रहीं।
डिजिटल अरेस्ट का दबाव और लगातार निगरानी
रीता ने बताया कि उन्हें लगातार धमकियां दी जाती थीं कि जब तक जांच चल रही है, उन्हें फोन उठाना ही होगा और कोई कॉल मिस नहीं करना है। हर दिन जालसाज उन्हें फोन करते और जांच के नाम पर मानसिक प्रताड़ना देते। इसी बीच, उन्होंने 56 लाख रुपये कई अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए। रकम समाप्त होने के बाद, उन्होंने अपना सोना गिरवी रखकर गोल्ड लोन लिया और बाकी की राशि भी ट्रांसफर कर दी। इस तरह कुल 70 लाख रुपये की ठगी का शिकार हुईं रीता भसीन।
परिवार में बात छिपाने की कोशिश
जालसाजों के निर्देश पर रीता ने यह बात किसी को नहीं बताई। लेकिन जब अंत में उनके पास पैसे खत्म हो गए और ठगों ने अन्य स्रोतों से रकम जुटाने का दबाव डाला, तब उन्होंने अपने देवर को पूरे मामले की जानकारी दी। देवर ने स्थिति को समझा और उन्हें तुरंत साइबर थाने ले गया, जहां जाकर यह पूरा मामला उजागर हुआ।
पुलिस ने शुरू की जांच
साइबर थाने में शिकायत दर्ज होने के बाद एडीसीपी वसंत कुमार ने बताया कि शिकायत मिलते ही पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है। जिन खातों में रकम ट्रांसफर की गई है, उनके ट्रांजैक्शन ट्रेस करने के लिए संबंधित बैंकों को मेल भेज दिया गया है। इसके अलावा, जिन मोबाइल नंबरों से रीता को कॉल किए गए थे, उनकी कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) निकलवाई जा रही है। पुलिस का दावा है कि जल्दी ही जालसाजों की पहचान कर गिरफ्तारी की जाएगी।
साइबर ठगी का खतरनाक ट्रेंड
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि साइबर अपराधी किस हद तक मानसिक दबाव और डर का माहौल बनाकर लोगों से ठगी कर सकते हैं। ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी रणनीति के तहत जालसाज पहले लोगों को सरकारी एजेंसियों के नाम पर धमकाते हैं, फिर लगातार उन्हें फोन पर बांधकर रखते हैं और भय का माहौल पैदा कर रुपये ऐंठ लेते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यह साइबर ठगी का नया और बेहद खतरनाक ट्रेंड है जिसमें खासतौर पर बुजुर्ग, अकेले रहने वाले या तकनीक से कम परिचित लोग निशाने पर रहते हैं।
साइबर एक्सपर्ट की राय
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए आम नागरिकों को सतर्क रहना चाहिए। कोई भी सरकारी एजेंसी इस प्रकार फोन कर सीधे बैंक डिटेल या धनराशि ट्रांसफर की मांग नहीं करती। अगर किसी को इस तरह का कॉल आए तो तुरंत नजदीकी पुलिस थाने या साइबर क्राइम शाखा में संपर्क करें।