scriptधनखड़ के इस्तीफे से किठाना में मायूसी लेकिन गर्व भी, ग्रामीण बोले… हमारे लिए तो हमेशा ‘उपराष्ट्रपति’ ही रहेंगे | Dhankhar's resignation brought disappointment but also pride in Kithana, villagers said... for us he will always be the Vice President | Patrika News
झुंझुनू

धनखड़ के इस्तीफे से किठाना में मायूसी लेकिन गर्व भी, ग्रामीण बोले… हमारे लिए तो हमेशा ‘उपराष्ट्रपति’ ही रहेंगे

‘वे पद पर रहें या नहीं, लेकिन हमारे लिए तो हमेशा उपराष्ट्रपति रहेंगे।’ यह कहना है झुंझुनूं जिले के किठाना गांव के लोगों का, जो सोमवार शाम जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की खबर से स्तब्ध रह गए। गांव में धनखड़ के इस्तीफे की सूचना पहुंचते ही भावनात्मक माहौल बन गया।

झुंझुनूJul 22, 2025 / 09:59 am

anand yadav

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा, फोटो एएनआइ

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा, फोटो एएनआइ

‘वे पद पर रहें या नहीं, लेकिन हमारे लिए तो हमेशा उपराष्ट्रपति रहेंगे।’ यह कहना है झुंझुनूं जिले के किठाना गांव के लोगों का, जो सोमवार शाम जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की खबर से स्तब्ध रह गए। गांव में धनखड़ के इस्तीफे की सूचना पहुंचते ही भावनात्मक माहौल बन गया। गांव के लोगों का कहना है कि धनखड़ ने गांव को जो पहचान दिलाई, वह कभी मिट नहीं सकती। व्यस्तता के कारण धनखड़ गांव से दूर होने के बावजूद सदैव अपना लगाव रखते थे। उनकी पत्नी डॉ. सुदेश अक्सर किठाना आती थीं और गांव के विकास कार्यों पर खुलकर चर्चा करती थीं।

संबंधित खबरें

प्रारंभिक शिक्षा किठाना में

सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता रहे धनखड़ का जन्म चिड़ावा तहसील के किठाना गांव में 18 मई 1951 को हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा किठाना और घरड़ाना के सरकारी विद्यालय में हुई, उच्च शिक्षा राजस्थान विश्वविद्यालय से पूरी की। राजस्थान यूनिवर्सिटी से एलएलबी कर वकालत पेशे में आए।

केन्द्रीय मंत्री और राज्यपाल भी रहे

1989 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने झुंझुनूं से जनता दल प्रत्याशी जगदीप धनखड़ का समर्थन किया और उन्होंने चुनाव जीता। वे 21 अप्रेल 1990 से 5 नवंबर 1990 तक केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री रहे। वर्ष 1991 में कांग्रेस से चुनाव लड़ा, हार गए। धनखड़ 1993 में अजमेर के किशनगढ़ से राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। उपराष्ट्रपति बनने से पहले वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रहे।

माटी से लगाव, बच्चों को किया प्रोत्साहित

उपराष्ट्रपति बनने के बाद धनखड़ स्कूली बच्चों से जरूर मिलते। उनको सरकारी खर्च पर दिल्ली घूमने के लिए बुलाते। वे सैनिक स्कूल, पिलानी, सांगासी व जवाहर नवोदय स्कूल काजड़ा में बच्चों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहे। सांगासी सरकारी स्कूल में स्मार्ट टीवी भिजवाया।
स्कूली बच्चों के बीच उपराष्ट्रपति धनखड़, पत्रिका फोटो

गांव को दिलाई नई पहचान

ग्रामीण हीरेंद्र धनखड़ ने कहा धनखड़ के प्रयास से गांव में कॉलेज, स्टेडियम, आयुर्वेदिक अस्पताल भवन सहित अन्य विकास कार्य हुए। गांव से नेशनल हाईवे का सर्वे शुरू हुआ। उनके परिवार ने गोशाला व सरकारी विद्यालयों में भी सहयोग दिया।

तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर

जगदीप धनखड़ के तीन भाई हैं, जिनमें वे स्वयं दूसरे नंबर पर हैं। बड़े भाई कुलदीप धनखड़ की कंस्ट्रक्शन कंपनी है और छोटे भाई रणदीप धनखड़ आरटीडीसी चेयरमैन रह चुके हैं।

Hindi News / Jhunjhunu / धनखड़ के इस्तीफे से किठाना में मायूसी लेकिन गर्व भी, ग्रामीण बोले… हमारे लिए तो हमेशा ‘उपराष्ट्रपति’ ही रहेंगे

ट्रेंडिंग वीडियो