एसीबी के मुताबिक, पुराना चंदनिया पारा जांजगीर निवासी सत्येन्द्र कुमार राठौर और उसके पारिवारिक सदस्यों के नाम पर ग्राम पुटपुरा में करीब 4.2 एकड़ जमीन है। जिसमें उसके बुआ लोगों का भी नाम शामिल था किन्तु बुआ लोगों के द्वारा हकछोड़ रजिस्ट्री कराते हुए अपने हिस्से की जमीन को हक त्याग कर दिया था।
जिसके बाद रिकार्ड दुरूस्तीकरण कराने के लिए सत्येन्द्र ने हकछोड़ रजिस्ट्री के दस्तावेज पटवारी को दे दिए किन्तु इसके बावजूद बी-वन और पंचशाला में रिश्तेदारों का नाम नहीं हटा तो सत्येन्द्र पुटपुरा पटवारी बालमुकुंद राठौर के पास पहुंचा तो उसने रिकार्ड में सुधार करने के एवज में 20 हजार रुपए की रिश्वत मांगी। इस पर सत्येन्द्र ने इसकी शिकायत एसीबी बिलासपुर में जाकर की।
एसीबी ने मामले की पड़ताल की तो शिकायत सही मिली। इस पर एसीबी ने पटवारी को रंगे हाथों पकड़े जाल बिछाया। गुरूवार की सुबह सत्येन्द्र ने कैमिकल लगे 20 हजार रुपए के नोट दिए। पटवारी बालमुकुुंद ने उसे जांजगीर स्थित पटवारी कार्यालय बुलाया।
यहां पहुंचकर सत्येन्द्र ने पटवारी को मांगी गई रिश्वत की रकम 20 हजार रुपए उसे दे दिए। जैसे ही पटवारी ने रकम हाथ में लिए, तत्काल एसीबी की टीम ने एक साथ दबिश दी और पटवारी को रंगेहाथों धरदबोचा। मामले में एसीबी के द्वारा आरोपी के पास से रिश्वत की रकम 20 हजार रुपए को जब्त करते हुए उसके विरूद्ध धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत कार्रवाई करते हुए आरोपी को न्यायालय में पेश किया गया।
चार साल पहले महिला के साथ संदिग्ध हालात में पकड़ा गया था
20 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा गया पुटपुरा-धाराशिव पटवारी बालमुकुंद राठौर तीन साल पहले 7 जून 2022 को ग्राम लछनपुर में एक महिला के साथ संदिग्ध हालात में पकड़ा गया था। उस समय वह अमोदा और धुरकोट हल्का पटवारी के रूप में पदस्थ था। उसके साथ दो और हल्का पटवारी भी पकड़ में आए थे। महिला के घर संदिग्ध हालात में पकड़े जाने पर ग्रामीणों ने जमकर तीनों की धुनाई की थी। उस मामले में राजस्व विभाग की छबि धूमिल हुई थी तब कलेक्टर के निर्देश पर तीनों पटवारी को सस्पेंड किया गया था। बाद में बालमुकुंद राठौर किसी तरह बहाल भी हो गया था और फिर से पटवारी की नौकरी पा ली थी लेकिन अबकि बार रिश्वतखोरी के मामले में फंस गया। इससे राजस्व विभाग की छबि फिर धूमिल हुई है।
ACB arrested Patwari: राजस्व विभाग की छवि हो रही धूमिल
पटवारियों-बाबुओं के द्वारा
रिश्वत मांगने और घूस लेते पकड़े जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है। दर्जनों ऐसे मामले सामने आ चुके हैं और राजस्व विभाग की छबि धूमिल हो चुकी है। रिश्वतखोर सलाखों के पीछे भी जा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। आए दिन इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं और राजस्व विभाग की छबि धूमिल हो रही है।