
राम को जगाने के लिए रावण की उपयोगिता जरूरी
रावण को अधिकांश लोग खलनायक के रूप में देखते हैं, आपकी नजरों में रावण क्या है? इसका जवाब देते हुए आशुतोष ने कहा- लोग जीवन में उन्हीं लोगों को पूजनीय मानते हैं, जिन्होंने जीवन में बड़ी-बड़ी बाधाओं पर विजय प्राप्त कर ली है। जो व्यक्ति अपनी वासनाओं पर विजय प्राप्त कर लेता है, तो वह समाज में आदर के और पूजा के योग्य हो जाता है। सब के जीवन में रावण का होना बहुत जरूरी है। ताकि हमारे अंदर सोए हुए राम जाग जाए। राम को जगाने के लिए रावण की उपयोगिता परम आवश्यक है।नाटक ‘हमारे राम’ के देशभर में कई शो हो चुके हैं, इसके लिए आप कितनी मेहनत करते हैं?
फिल्म और थियेटर में बहुत अंतर होता है। फिल्म रिलीज होने के बाद उसमें कुछ भी परिवर्तन नहीं कर सकते हैं। लेकिन थियेटर में जब भी कोई शो करते हैं, तो वह हर बार अलग और नया होता है। चाहे डायलॉग पुराने हो सकते हैं लेकिन शो नया होगा। इसके लिए प्रत्येक पल तैयार होने की आवश्यकता रहती है। हर शो के लिए बहुत मेहनत करनी होती है।
शो में अभिनय के समय आपकी आवाज की कितनी भूमिका रहती है?
शो में आवाज की बहुत बड़ी भूमिका रहती है। ऑडियंस तक आवाज पहुंचाने के लिए खुद को पहले से तैयार करना होता है। अभिनय उसी किरदार का सराहा जाता है। जिसके शब्द दिखाई दें और सन्नाटे सुनाई पड़ें। लाइव में ये नहीं देखा जाता कि आप बीमार हैं। बीमार भी हो तो दर्शकों को नहीं लगना चाहिए। दर्शकों तक कला पहुंचनी चाहिए।क्या आपने कभी अस्वस्थ होने पर भी शो में अभिनय किया है?
हां, फरवरी 2025 में हमने लगातार करीब 16 शो किए थे। इस दौरान बीमार हो गया था। तब तीन दिन लगातार ड्रिप लगी थी। तब भी अभिनय किया था। हनुमान का किरदार निभाने वाले कलाकार को डेंगू हो गया था।
‘हमारे राम’ में आपके साथ कितने लोगों की टीम काम करती है?
नाटक ‘हमारे राम’ का हम देश के कई शहरों में शो कर रहे हैं। ऐसे में हमारे साथ करीब 122 लोगों की टीम काम कर रही है।आप कितने बड़े शिव भक्त है?
शिव भक्ति सब के जीवन में है। कुछ लोग शिव को चाहते हैं, तो कुछ लोग शिव से चाहते हैं। ऐसे में मैं शिव को चाहने वाली श्रेणी में हूं। शिव ने मुझे बिना मांगे बहुत कुछ दिया है। पहचान और अस्तित्व को बहुत विस्तारित कर दिया।
रावण का किरदार निभाने की कब ठानी?
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन-दर्शन पर आधारित ‘रामराज्य’ नाम की किताब लिखी थी, जो 2019 में प्रकाशित हुई थी। तब लगा था कि रावण का किरदार करना ही है।अभिनय के समय भाषा कितनी महत्वपूर्ण होती है?
अभिनय के समय भाषा बहुत महत्वपूर्ण होती है। किरदार के बीच संवाद ऐसे हो जो लोगों को समझ आ जाएं। काव्य शैली में संवाद बोले जाते हैं। भाषा का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है।
रावण का किरदार निभाते समय कॉस्ट्यूम का वजन कितना होता है?
इस नाटक में रावण का किरदार निभा रहा हूं, तो 32 किलो का कॉस्ट्यूम/परिधान तो पहनना ही होगा। इसके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार रहना होता है।जो अभिनय कराता है, वही मुझे ऊर्जा देता है। जब ऐसा किरदार करते हैं तो ऊर्जा भी परमात्मा ही देता है।
