Japanese Encephalitis in Bastar: कुछ वर्षों से सामने आ रहे जेई के मामले
शिशु विशेषज्ञ डॉ. अनुरूप साहू ने बताया कि जापानी इंसेफेलाइटिस एक वायरल बीमारी है, जो कुलैक्स
मच्छरों के काटने से फैलती है। यह मच्छर ज्यादातर जंगल और खेती वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। बस्तर संभाग और पड़ोसी राज्यों में पिछले कुछ वर्षों से जेई के मामले सामने आ रहे हैं। डिमरापाल मेडिकल कॉलेज में जेई की जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है। डॉ. साहू ने बचाव के लिए मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का उपयोग करने, मच्छर भगाने वाले उपकरणों का इस्तेमाल करे और घर व आसपास के क्षेत्र में साफ-सफाई रखें, ताकि मच्छरों का प्रजनन न हो कहा है।
नानगुर, तोकापाल और दरभा में अधिक मामले
जिला टीकाकरण अधिकारी सीआर मैत्री ने बताया कि बस्तर जिले में अब तक जेई के 15 मामले सामने आए हैं। इसमें मुय रूप से तोकापाल, दरभा, नानगुर और बकावंड क्षेत्रों में जेई पॉजिटिव मरीज पाए गए हैं। मालूम हो कि यह बीमारी विशेष रूप से बच्चों को प्रभावित करती है। इसलिए बच्चों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। जैसे ही स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी मिली मरीज और उसके परिवार और आस पास इलाके में सर्वे शुरू कर दिया और लोगों की जांच की जा रही है। जिला टीकाकरण अधिकारी सीआर मैत्री ने बताया कि जेई से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने व्यापक टीकाकरण अभियान शुरू किया है। पहला टीका 9 महीने से 1 वर्ष की आयु के बच्चों को और दूसरा टीका 16 से 24 महीने की आयु के बच्चों को लगाया जा रहा है। इसके अलावा 5 वर्ष तक के बच्चों को जेई वैक्सीन दी जा रही है ताकि कोई भी बच्चा इस अभियान से छूट न जाए। उन्होंने ने लोगों से अपील की कि वे अपने घरों के आसपास पानी जमा न होने दें, नियमित सफाई करें, मच्छरदानी का उपयोग करें और बीमारी के लक्षण दिखने पर अस्पताल जाएं।
स्वास्थ्य विभाग ने टीकाकरण के साथ जागरूकता फैलानी भी शुरू की
Japanese Encephalitis in Bastar: स्वास्थ्य विभाग ने जेई, मलेरिया और
डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए जागरूकता अभियान भी शुरू किया है। लोगों को मच्छरों से बचाव और टीकाकरण के महत्व के बारे में जागरूक किया जा रहा है। विभाग का लक्ष्य है कि बस्तर में जेई और अन्य मौसमी बीमारियों पर जल्द से जल्द नियंत्रण पाया जाए।