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कुछ दिन पहले कृष्ण विहार कॉलोनी में 38 वर्षीय मनोज सोलंकी की करंट लगने से मौत हो गई थी। यह दुर्घटना 132 केवी महालक्ष्मी-साउथ जोन ट्रांसमिशन लाइन के इंडक्शन जोन में निर्माण करने के कारण हुई थी। खजराना में टीन शेड लगाते समय करंट से मजदूर की मौत हो गई थी। ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।
चलाया जा रहा है जागरुकता अभियान
एमपी ट्रांसको इंदौर की कार्यपालन अभियंता नम्रता जैन ने बताया, विद्युत सुरक्षा मापदंडों को नजरअंदाज कर लाइनों के समीप अनधिकृत निर्माण को हटाने से लेकर जागरूक करने का अभियान चलाया जा रहा है। सुरक्षा नियमों की जानकारी घर-घर चस्पा की जा रही है। अनांउसमेंट भी करवा रहे हैं। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, 132 केवी या इससे अधिक वॉल्टेज की ट्रांसमिशन लाइन के नीचे कम से कम 27 मीटर की सुरक्षित दूरी आवश्यक है।
600 से 950 गुना अधिक जान का खतरा
कंपनी के अनुसार, घरों में उपयोग होने वाली विद्युत आपूर्ति की तीव्रता मात्र 230 वोल्ट होती है। यह स्तर भी इतना अधिक होता है कि यदि कोई व्यक्ति गलती से इसके संपर्क में आ जाए तो जान भी जा सकती है। इससे भी कहीं अधिक खतरनाक एक्स्ट्रा हाई टेंशन ट्रांसमिशन लाइनें होती हैं। इनमें विद्युत तीव्रता 132 केवी (यानी 132,000 वोल्ट) एवं 220 केवी (यानी 2,20,000 वोल्ट) होती है। ये 600 से 950 गुना अधिक खतरनाक रहती है। जनवरी 2025 से अब तक इंदौर में ट्रांसमिशन लाइनों में 33 बार व्यवधान हुआ, जिसमें 16 बार ट्रिपिंग की वजह ट्रांसमिशन जोन में व्यक्ति या वस्तु का प्रवेश रहा।