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ग्वालियर

अब ‘सपनों का घर’ बनाना हुआ महंगा, अचानक बढ़ गए गिट्टी के रेट

MP News: छह महीने में गिट्टी के प्रतिटन 100 रुपए भाव बढ़ गए। आम लोगों की जेब पर 4000 रुपए का भार बढ़ा है।

ग्वालियरJul 20, 2025 / 05:41 pm

Astha Awasthi

फोटो सोर्स: पत्रिका

फोटो सोर्स: पत्रिका

MP News: एमपी के ग्वालियर शहर में विकास व समृद्धि में उद्योग की अहम भूमिका होती है। उद्योग से जीडीपी व रोजगार का सृजन होता है, लेकिन ग्वालियर के लिए छोटी-छोटी इंडस्ट्रीज से अच्छी खबर नहीं है। वित्त वर्ष 2023 में 19 व 2024 में 6 यूनिट बंद हुई हैं। इसमें सबसे ज्यादा स्टोन व क्रशर उद्योग ज्यादा प्रभावित हुए। बिलौआ में 60 यूनिट थी, अब संख्या 40 रह गई है। छह महीने में गिट्टी के प्रतिटन 100 रुपए भाव बढ़ गए। आम लोगों की जेब पर 4000 रुपए का भार बढ़ा है।

25 यूनिटों का हुआ सर्वे

सांख्यिकी विभाग ने शहर सहित जिले के इंडस्ट्रीज का सर्वे किया। सर्वे में अलग-अलग सेक्टर की इंडस्ट्रीज को शामिल किया गया। फूड, स्टोन उद्योग की हालत जानी गई। इनकी बैलेंसशीट सहित इनकी स्थिति जानी र्गई। सर्वे रिपोर्ट भोपाल भेजी गई है। बंद होने के पीछे कई कारण रहे हैं। कच्चा माल, मुनाफा कम, बिक्री घटना आदि कारण शामिल हैं।
2023 में 189 व 2024 में 25 यूनिटों का सर्वे किया गया। एक इंडस्ट्रीज में औसतन 12 से 15 लोग काम कर रहे थे। इनकी अलग-अलग शिट में ड्यूटी थी, लेकिन बंद होने से 300 लोगों का रोजगार चला गया। व्यवसाय भी कम होगा और जीडीपी भी प्रभावित होगी।

गिट्टी का भाव 800 रुपए टन

-गिट्टी के भाव 800 रुपए टन हो गए हैं। 10 चक्का डंपर में 40 टन गिट्टी आती है। 10 चक्का गिट्टी का डंपर 32 हजार रुपए का मिल रहा है, जबकि छह महीने पहले ये 28 हजार रुपए तक मिल रहा था। खुद लाने पर क्रशर से 400 से 500 रुपए टन के बीच गिट्टी मिल रही है।
-ग्वालियर का निर्माण बेरजा व बिलौआ की गिट्टी के भरोसे है। नया गांव सहित अन्य जगहों पर जो खदानें थी वह बंद हो गईं। इस कारण क्रशर यूनिट भी बंद हुई है। छौड़ा में खनन बंद होने पर क्रशर बंद हुए।

मुनाफा कम होने से लोग घाटा खा गए

डिंपी कंषाना, अध्यक्ष बिलौआ स्टोन क्रशर एसोसिएशन क्रशर का कहना है कि इंडस्ट्रीज से प्रदूषण अधिक फैलता है। इसकी शिकायत लेकर लोग एनजीटी तक जाते हैं। मुनाफा कम होने की वजह से लोग घाटा खा गए। एक बार प्लांट में र्कोई खराबी आ जाए तो उसे सुधरवा नहीं पाते हैं। इस कारण प्लांट बंद करना पड़ता है। बिलौआ में 20 क्रशर बंद हो चुके हैं।

बंद होने के पीछे इन कारणों को माना जा रहा

-यदि किसी उद्योग को उद्योगपति कुछ दिन के लिए बंद करना चाहता है। कुछ दिन बंद रखना उसे महंगा पड़ता है। क्योंकि बिजली का बिल जेब पर भारी पड़ जाता है। क्योंकि बिजली का फिक्स चार्ज ज्यादा देना होता है।
-प्लास्टिक को सरकार बैन कर रही है। इस कारण प्लास्टिक के सामान की खपत कम हुई है, जिसकी वजह से मुनाफा कम हुआ है।

-फूड इंडस्ट्रीज के पीछे बंद होने का कारण माल की कम बिक्री है। उत्पादन के बाद वह बाजार में बिक नहीं रहा है।

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