भविष्य में अलग-अलग कोचिंग पर विचार करना चाहिए?
दरअसल, इंडिया टुडे से बातचीत में हरभजन ने कहा कि अलग-अलग कोचिंग से कोचों सहित सभी का बोझ कम होगा। टी20 विश्व कप जीत के बाद राहुल द्रविड़ के जाने के बाद बीसीसीआई ने गौतम गंभीर को सभी प्रारूपों में टीम का मुख्य कोच नियुक्त करने का फैसला किया। गंभीर के नेतृत्व में भारत ने वनडे और टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन टेस्ट मैचों में उसे लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है।
ये कोई बुरा विकल्प नहीं
हरभजन ने कहा कि मुझे लगता है कि अगर इसे लागू किया जाता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। आपके पास अलग-अलग फॉर्मेट के लिए अलग-अलग टीमें और अलग-अलग खिलाड़ी होते हैं। अगर हम ऐसा कर सकते हैं, तो यह एक अच्छा विकल्प है। इससे कोचों समेत सभी का काम का बोझ कम होगा। इसलिए अगर ऐसा हो सकता है तो ये कोई बुरा विकल्प नहीं है।
लाल और सफेद गेंद की कोचिंग को अलग करना अच्छा कदम
हरभजन ने कहा कि कोचों को भी किसी सीरीज़ की तैयारी के लिए समय चाहिए होता है। उन्होंने कहा कि कोच को चाहे वह लाल गेंद का फॉर्मेट हो या सफेद गेंद का, किसी सीरीज की योजना बनाने और तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय चाहिए होता है। इसके अलावा, पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने बताया कि कोच पर जरूरत से ज़्यादा काम का बोझ नहीं डाला जा सकता, क्योंकि उसके पास परिवार जैसी अन्य ज़िम्मेदारियां भी होती हैं। परिवार के साथ लगातार यात्रा करना आसान नहीं होता। इसलिए, अगर आप मुझसे पूछें तो लाल गेंद और सफेद गेंद की कोचिंग को अलग-अलग करना एक अच्छा कदम है।