राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के सरलाई गांव की एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित सोमनाथ मंदिर न केवल भगवान शिव की आराधना का प्रमुख स्थल है, बल्कि यह मंदिर इतिहास, श्रद्धा और प्रकृति का अद्भुत संगम भी है। इस मंदिर का निर्माण लगभग 200 वर्ष पहले हुआ था और यह पूरे क्षेत्र के लिए आस्था का एक बड़ा केंद्र बना हुआ है।
पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं को 4 किलोमीटर पैदल चढ़ाई के बाद दर्शन देता है। यहां आने वाले भक्त विशेष रूप से श्रावण मास और महाशिवरात्रि पर भजन, पूजा और अभिषेक में भाग लेते हैं।
1990 के बाद सरलाई गांव घोसुंडा बांध के डूब क्षेत्र में आ गया था, लेकिन मंदिर आज भी वहीं स्थित है, जहां कुमावत समाज के सहयोग से इसका निर्माण हुआ था।
यहां की एक और खास बात है कि बारिश के मौसम में जब बांध में पानी भरता है, तो मंदिर तक पानी पहुंच जाता है, और वहां से दिखाई देता है एक अद्भुत प्राकृतिक दृश्य, जिसे देखने लोग दूर-दूर से आते हैं।
सोमनाथ मंदिर से जुड़ी 10 खास बातें
यह मंदिर लगभग 200 वर्ष पुराना है।
मंदिर भगवान शिव के सोमनाथ रूप को समर्पित है।
इसका निर्माण कुमावत समाज के सहयोग से हुआ था।
मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है।
यहां पहुंचने के लिए भक्तों को सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं।
श्रावण मास और महाशिवरात्रि पर हजारों श्रद्धालु आते हैं।
मंदिर से घोसुंडा बांध का सुंदर नजारा दिखता है।
बारिश के समय मंदिर तक पानी पहुंच जाता है, जो दुर्लभ दृश्य बनाता है।
मंदिर का स्थापत्य राजस्थानी नक्काशी और शिखर शैली में है।
यहां की गई सच्चे मन से प्रार्थना मानी जाती है फलदायी।
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