Bollywood ACTRESS: किसी फिल्म में काम करना जितना स्क्रीन पर आसान लगता है, असल में उतना ही चुनौतीपूर्ण होता है। घने अंधेरे, AC थिएटर में पॉपकॉर्न हाथ में लेकर 70 एमएम पर्दे पर फिल्म देखना जरूर आरामदायक होता है, लेकिन पर्दे के पीछे की मेहनत-वो अलग ही कहानी है। न तो कैमरे के सामने एक्टिंग करना आसान है और न ही कैमरे के पीछे पूरी यूनिट को संभालना बच्चों का खेल। किसी फिल्म के सेट पर घंटों धूप में तपना और परफेक्ट शॉट के लिए बार-बार रीटेक देना किसी आठवें अजूबे से कम नहीं। यहां तक कि एक छोटी सी डॉक्यूमेंट्री भी हफ्तों की मेहनत और मैनेजमेंट मांगती है, और पूरी फीचर फिल्म बनाना तो जैसे ‘टेढ़ी खीर’ ही है।
इसी बीच बॉलीवुड में एक बहस ने तूल पकड़ लिया है 'नेपो किड्स बनाम आउटसाइडर्स नहीं, ये चर्चा है वर्किंग आवर्स की'। ज्यादातर इंडस्ट्रीज में 8 से 9 घंटे का वर्क शेड्यूल होता है, लेकिन फिल्म और टेलीविजन की दुनिया में यह घंटों तक खिंचता है। यहां 15 से 18 घंटे की शिफ्ट आम बात है। अब इंडस्ट्री में कई लोगों का कहना है कि इस सिस्टम को बदलने की ज़रूरत है।
ये बहस तब शुरू हुई जब दीपिका पादुकोण और डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा के बीच 'स्पिरिट' फिल्म को लेकर मतभेद की खबर आई। कहा गया कि दीपिका ने 8 घंटे काम करने की शर्त रखी थी और इस कारण उन्हें फिल्म से बाहर कर दिया गया। हाल ही में मां बनी दीपिका के इस फैसले को कई लोगों ने सपोर्ट किया, लेकिन कुछ का कहना था कि फिल्म की डिमांड को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
भारत में अक्सर माना जाता है कि हॉलीवुड कई मामलों में हमसे ज्यादा प्रोग्रेसिव है और कई बार होता भी है। लेकिन जहां बात शिफ्ट टाइमिंग्स की आती है, वहां का हाल भी कुछ-कुछ ऐसा ही है। कई बार तो हॉलीवुड एक्टर्स की शिफ्ट टाइमिंग बॉलीवुड से भी लंबी हो जाती है। बता दें कि हॉलीवुड में एक्टर्स और एक्ट्रेसेज़ की औसतन शिफ्ट 12 से 14 घंटे की होती है। अगर कोई फिल्म बड़े स्केल की हो या किसी चुनौतीपूर्ण लोकेशन पर शूट हो, तो ये टाइम और बढ़ सकता है। वहीं बैकएंड टीम कैमरा क्रू, लाइटिंग, टेक्नीशियन, आर्ट डायरेक्शन वगैरह की शिफ्ट तो 15 से 18 घंटे तक चलती है। इन लोगों को सेट अप करना, लाइट लगाना, कैमरा रेडी करना और शॉट्स फाइनल करने जैसी जिम्मेदारियां उठानी होती हैं।
Published on:
16 Jul 2025 05:53 pm