राजस्थान में 1800 करोड़ की योजना पर लगा ग्रहण, 8 साल बाद भी किसानों नहीं मिल रहा फायदा
मामला इंदिरा गांधी नहर परियोजना का है, जिसकी छह लिफ्ट नहरों के करीब 3.47 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बूंद-बूंद सिंचाई के लिए साल 2017 में शुरू की गई सामुदायिक डिग्गी योजना 8 साल बाद भी अधूरी है।
डिग्गी परियोजना से किसानों को नहीं हो रहा फायदा (फोटो-पत्रिका)
बीकानेर। सिंचाई के लिए 1800 करोड़ की परियोजना 8 साल बाद भी अधूरी है। बिना भूमि अधिग्रहण किए ही डिग्गियां बना दी गईं। ऐसे में किसानों को मुआवजा भी नहीं मिला, न ही उनके खेतों तक पानी पहुंचा। सरकार की तरफ से डिग्गियों के लिए जारी धन ठेकेदारों की जेब में चला गया। किसान आज भी खाली डिग्गियों और दरकी दीवारों को देख रहे हैं।
मामला इंदिरा गांधी नहर परियोजना का है, जिसकी छह लिफ्ट नहरों के करीब 3.47 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बूंद-बूंद सिंचाई के लिए वर्ष 2017 में शुरू की गई सामुदायिक डिग्गी योजना 8 साल बाद भी अधूरी है। करीब 1800 करोड़ रुपए की लागत वाली इस परियोजना में पहले चरण में 668 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन एक भी खेत को सिंचाई सुविधा नहीं मिली है।
पानी भरने से पहले ही धंस गई कई डिग्गियां
सरकार ने नहरों के पास 1200 बीघा भूमि पर करीब 300 डिग्गियां बनवाई हैं। इन पर एक डिग्गी के लिए औसतन सवा करोड़ रुपए खर्च किए गए, लेकिन इनका निर्माण भूमि अधिग्रहण के बिना ही कर दिया गया। किसानों को अब तक अवार्ड राशि नहीं मिली। वहीं कई डिग्गियां पानी भरने से पहले ही धंसने लगी हैं।
क्या है डिग्गी योजना ?
प्रोजेक्ट की लागत: 1800 करोड़ पहले चरण में खर्च: 668 करोड़ दूसरे चरण में प्रस्तावित खर्च: 250 करोड़ अब तक कुल खर्च: 918 करोड़ (लगभग) एक डिग्गी पर खर्च: 1.25 करोड़
अब तक बनी डिग्गियां: 304 पूरा होने की तय समय-सीमा: सितंबर 2018 अब तक बीता समय: 8 साल लिफ्ट नहरों की संख्या: 6
डिग्गियों की दीवारों में दरारें
पत्रिका टीम ने रणधीसर माइनर पर बनी डिग्गियों की स्थिति देखी तो पाया कि कई डिग्गियों की दीवारों में दरारें थीं, कुछ का फर्श बैठ चुका था। पानी भरते ही सीपेज से डिग्गी खाली हो जाती है। किसान गोपाल सिंह सोलंकी, बलजीत सिंह, मनोहर व छैलू सिंह ने बताया कि डिग्गियों में घटिया निर्माण हुआ है और उपयोग से पहले ही वे दरक रही हैं। इस माइनर पर ही 104 बीघा भूमि में 26 डिग्गियां बनी हैं, पर किसान इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
टेंडर से पहले पुरानी जांच जरूरी
बिना भूमि अधिग्रहण के डिग्गियों का निर्माण कर दिया गया, जिससे किसान मुआवजा पाने से वंचित हैं। निर्माण गुणवत्ता बेहद खराब है, जिससे पानी डिग्गियों में रुक नहीं रहा। ऐसे में नए टेंडर से पहले पुरानी जांच जरूरी है। -गोपाल सिंह सोलंकी, किसान
अधिकारी ने कहा- कराएंगे जांच
केन्द्र और राज्य सरकार ने मार्च 2017 में 1800 करोड़ की योजना स्वीकृत की थी। स्कीम में बदलाव और बजट में देरी के कारण प्रोजेक्ट अटका रहा। अब 304 डिग्गियां तैयार हैं और विद्युत कनेक्शन जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है। 176 ट्रांसफार्मर लग चुके हैं। ठेकेदार से पांच साल की गारंटी के तहत निर्माण की गुणवत्ता जांच कर सुधार कराएंगे। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। -विवेक गोयल, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, आइजीएनपी
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