आगामी 1 साल में एरियर भी दिया जाएगा
इसके अलावा जो प्राध्यापक अभी सेवा में हैं, उन्हें आगामी 12 माह के भीतर शेष एरियर (arrears) का भुगतान करना होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उक्त समयावधि में भुगतान नहीं होने की स्थिति में 6 प्रतिशत ब्याज का भुगतान भी करना होगा।
2024 की याचिका पर कोर्ट का फैसला, लगाई फटकार
जबलपुर निवासी मप्र अशासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष डॉ. जानेंद्र त्रिपाठी व डॉ. शैलेश जैन की ओर से याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि राज्य सरकार ने 27 फरवरी 2024 को अशासकीय अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को सातवें वेतनमान का लाभ देने से इनकार कर दिया है। जबकि सातवें वेतनमान की अनुशंसा के बाद राज्य सरकार ने 18 जनवरी 2019 को परिपत्र जारी कर शासकीय महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को पुनरीक्षित वेतनमान का लाभ देने के आदेश जारी किए थे। इस पर फिर याचिका दायर की गई।
सरकार ने पूर्व के आदेश नहीं माने
हाईकोर्ट में पूर्व में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अशासकीय अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को सातवें वेतनमान का लाभ देने के आदेश जारी किए थे। सरकार द्वारा आदेश का पालन नहीं किए जाने पर अवमानना याचिका दायर की गई थी। जिसके बाद सरकार ने उक्त आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी। अपील खारिज होने के बावजूद सरकार ने आदेश का पालन नहीं होने पर यह याचिका दायर की गई।